मनहूस कोठी भाग _ 6

कहानी _ **मनहूस कोठी**

भाग _ 6

लेखक_ श्याम कुंवर भारती 

इस औरत की आत्मा ने आगे कहा _ बाबा हमारा परिवार बहुत सुखी परिवार था ।हम सब गरीब थे मगर बहुत खुश थे।लेकिन जबसे ये ठाकुर दुर्जन चौधरी की नजर हमारी बेटी पर पड़ी हमारी जिंदगी नर्क बन गई। इसने  हमसे कहा तुम्हारी बेटी चंद्रप्रभा बहुत सुंदर है।तुम लोग मेरी कोठी में चलो मैं तुम लोगो को काम भी दूंगा और तुम्हारी बेटी का विवाह अपने बेटे भानु प्रताप चौधरी से करा दूंगा ।तुम्हारी बेटी जिंदगी भर राज करेगी।लेकिन हमे नही पता था इस दुष्ट पापी के मन में पाप भरा था।ये अपने बेटे भानु के लिए नही बल्कि खुद अपनी हवस मिटाने के लिए हम सबको यहां लाया था।
मुझे और मेरे पति मंगरू लाल को यहां नौकर बना दिया ।मेरी छोटी बेटी नैना का जन्म इसी कोठी में हुआ था ।
यहां आने के बाद इसके बेटे भानु को जब पता चला की उसका विवाह मेरी बेटी चंद्रप्रभा से होने वाला है तो वो बहुत खुश हुआ।वो चंद्रप्रभा से प्यार करने लगा था ।दोनो आपस में मिलने जुलने लगे थे।मैने अपनी बेटी को टोका भी की बेटी जबतक ठाकुर साहब तुम्हारा और भानु का विवाह नही करा देते तुम दोनो का ज्यादा मिलना ठीक नही है।
लेकिन ये दोनो नही माने ।
ठाकुर की पत्नी लीलावती देवी को  भी मेरी बेटी चंद्रप्रभा बहुत पसंद थी ।जब हमने ठाकुर से अपनी बेटी के विवाह  के बारे में याद दिलाया तो इस पापी ने मुझे थप्पड़ मारते हुए कहा _ तुम लोग पागल हो गए हो क्या । तुम्हारे जैसे भिखारी और छोटी जाती के लोगो से अपने बेटे का विवाह क्यों करूंगा ।
तुम्हारी बेटी को मैं अपना रखैल बनाकर रखूंगा ।उसके साथ तुम लोग भी राज भोगना।
इस पापी की गंदी और नीचता भरी बात सुनकर बाबा मेरे पैरो तले की जमीन खिसक गई ।हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा किया इसने ।
रोज मेरी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगा ।
जब मेरी बेटी इंकार करती ये दुष्ट पापी उसे बुरी तरह मारता पीटता था।जब मैं और इसके पिता की विरोध करते तो हमें भी बुरी तरह कोड़े से मारता था।
हमारी दुर्दशा देखकर इसकी पत्नी ठकुराइन और इसके बेटे भानु ने जब इस नीच आदमी को समझाने का प्रयास किया तो इसने उनको भी नही छोड़ा । अंत में सभी इसने हम सबको बंधक बना लिया था ।कही आने जाने नही देता था ।
जब इसके अत्याचार और व्यभिचार से हम लोग आजिज आ गए तब हमने बीवीb इसे मारने की योजना बनाई ।एक दिन  रात में ये पापी मेरी बेटी के साथ जब जोर जबरजस्ती कर रहा था ।मेरी बेटी प्रभा ने इससे छूट कर बाहर निकली और बचाने के लिए चिल्लाने लगी ।
उसकी चीख पुकार सुनकर मैं उधर दौड़ी  ठाकुर की पत्नी और बेटा भी बाहर निकले और मेरी बेटी को ठाकुर से बचाने लगे ।लेकिन ठाकुर के सिर पर जैसे वासना का सैतान  सवार था ।उसने मेरे विरोध करने पर मुझे मारते पीटते हुए लेजाकर मुझे मेरे कमरे मे बंद कर दिया और आग लगा दिया । मैं चीखती चिल्लाती रही लेकिन कोई भी बचाने नही आया और मैं जलकर मर गई।
जब मेरी आत्मा मेरे कमरे से
बाहर निकली मैने देखा ये पापी मेरी बेटी के साथ जोर जबर जस्ती कर रहा है।मेरी छोटी बेटी नैना ठाकुर का पैर पकड़कर अपनी दीदी को छोड़ने के लिए बार बार बिनती कर रही थी।इसमें मेरी बेटी का बाल पकड़कर उसे घसीटते हुए कुंआ की तरफ जाने लगा ।मेरे पति भी भागे भागे आए और मेंरी चोटी बेटी को बचाने लगे ।लेकिन इस हत्यारे ने उन्हे कुएं की दीवाल पर पटक दिया ये बेहोश हो गए । दुष्ट ठाकुर ने मेरी बेटी को कुआ में फेंक दिया मेरी बेटी पानी में डूबने लगी ।मैं भी कुंआ में कूदी लेकिन मैं एक आत्मा होने के कारण कुछ नही कर पाई और मेरी छोटी बेटी कुंआ के पानी में डूब कर मर गई।मेरी आत्मा कल्पकर रह गई।
लेकिन इसकी पत्नी ने हार नहीं मानी और मेरी बड़ी बेटी को बचाने में लगी रही ।उसका बेटा भी समझा रहा था ।बाबूजी छोड़ दीजिए चंद्र प्रभा को लेकिन इस पापी ने किसी का की एक न सुनी ।उसने अपनी ही पत्नी को अपनी तलवार से काट दिया वो वही छटपटा कर मर गई।उसका बेटा भी अपनी मां की हत्या होते देख बर्दास्त नही कर पाया और बेहोश होकर गिर पड़ा।
अंत में मेरी बेटी ठाकुर पर पूरी ताकत से टूट पड़ी उसे बुरी तरह घायल कर दिया ।लेकिन किसी तरह ठाकुर के हाथ तलवार लग गई और इसने मेरी बेटी की गर्दन एक झटके में ही उड़ा दिया और उसके कमरे में उसकी लाश को डालकर बंद कर दिया।
मरने के बाद हम तीनो मां बेटी आत्मा बनकर इस हवेली में भटकती रही ।कुछ नही कर पा रही थी ।लेकिन इस ठाकुर से बदला लेने के लिए हम तीनो को आत्मा तड़प रही थी ।
हमारे और अपनी मां की मृत्यु के बाद इसका बेटा मेरे पति को लेकर अपने गांव चला गया।लेकिन ठाकुर अपनी अय्यासियो के लिए इसी कोठी में रहकर हमेशा कोई न कोई लड़की और औरत लाता था और अपनी मनमानी करता था जिसे देखकर हम तीनो का खून खौलता रहता था।
लेकिन कुछ कर नही पाते थे ।
कुछ सालो के बाद अचानक हमे कुछ शक्तियां  खुद ही मिल गई ।यह भगवान की कृपा रही होगी ।हम पर तरस खा कर ।
हम कुछ भी कर सकते थे।कही भी आ जा सकते थे ।लेकिन फिर लौट कर आना पड़ता था । क्योंकि हमारी मौत यही इसी कोठी में हुई थी।
हम लोग रूप बदल सकते थे।किसी को छू सकते थे ।कोई सामान उठा कर इधर उधर कर सकते थे।
अलग अलग तरह की आवाज निकाल सकते थे।फिर हमे मौका मिल गया।एक दिन रात में जब ठाकुर भोग बिलास कर एक लड़की के साथ शराब के नशे में सोया हुआ था । हम तीनो ने मिलकर इस पापी ठाकुर का गला दबाकर मार डाला ।हमने सोचा हमने बदला ले लिया।लेकिन यह पापी मरने के बाद शैतान बन गया।
फिर हम तीनो को फिर से सताना, मारना पीटना शुरू कर दिया।r
उसकी लंबी चौड़ी दुखद कहानी सुनकर वहा सभी की आंखे भर आई।सबको उन तीनो आत्माओं पर बहुत दया और सहानुभूति हो रही थी।
लेकिन ठाकुर की आत्मा से सबको नफरत हो रही थी ।
बाबा ने चंद्र प्रभा की आत्मा से कहा _ अब तुम बोलो कुछ कहना है तुम्हे ।
चंद्रप्रभा ने कहा _ बाबा इस पापी ठाकुर ने मरने के बाद इस कोठी में किसी भी इंसान को रहने नही दीया।जब भी किसी ने इस कोठी को खरीदा और रहने आया।इस दुष्ट आत्मा ने उसे इतना सताया और डराया की वो भाग खडा हुआ ।
ये इस कोठी पर मरने के बाद भी  अपना राज करना चाहता है।मैं चाहती हूं बाबा जीते जी तो मेरी शादी तो भानु से नही हो पाई लेकिन मरने के बाद भी मेरी अंतिम इच्छा की मेरी शादी इसके बेटा भानु प्रताप चौधरी से हो और मैं उसके बच्चे की मां बनू।आप और काली मां मुझे दो साल और इस आत्मा  को स्त्री के रूप में रहने की कृपा प्रदान करे।
उसकी बात सुनकर सभी वहा चौंक गए।
राम जी ने बाबा से पूछा _ बाबा क्या ऐसा संभव है ।
बाबा ने कहा अगर काली मां चाहे तो ऐसा हो सकता है ।कई घटनाएं ऐसी घटी है।कई प्रेत आत्माएं मां बनी है और उनकी संतान आज भी जिंदा है।लेकिन आत्मा एक निर्धारित समय से ज्यादा मानव रूप में इस धरती पर नही रह सकती ।उन्हे समय पूरा होने पर यहां से जाना पड़ता है।
बाबा ने कहा _ लेकिन क्या भानु तुमसे विवाह करने को तैयार है ।
बाबा की बात सुनते ही भानु फफक फफक कर रो पड़ा और कहा _ बाबा मैं इसे दिलो जान से चाहता था ।आज भी चाहता हूं।इसलिए अब तक विवाह भी नही किया ।मुझे अपने पिता के किए गए कुकर्मो का बहुत अफसोस है।आखिर मेरे पिता के चलते ही इसका पूरा परिवार उजड़ गया ।मैं इससे हर हाल में विवाह करने को तैयार हूं।
भानु की बात सुनते ही उसके पिता की आत्मा भड़क उठी और बोला _ नालायक कही का तेरी मजाल की तुम मेरी रखैल से विवाह करेगा ।इतना कहकर उसने अपने बेटे का गला पकड़कर दबाने लगा।भानु छटपटाने लगा।
बाबा ने तुरंत मंत्र पढ़ कर भभूत उस पर फेंका ।दुर्जन की आत्मा तड़पने लगी और अपने बेटे को छोड़ दिया।
कुछ तो शर्म करो दुर्जन ।जिंदा रहते तो कितना कुकर्म और अत्याचार किया मरकर तो कुछ सोचो तुम्हे नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी।
मेरे रहते कोई भी मेरे खिलाफ नही जा सकता ।मैने ही राम जी की कार का एक्सीडेंट किया था ।मैने ही उसे थप्पड़ मारा था । मैं कुछ भी कर सकता हूं ।सब लोग भाग जाओ यहां से मैं किसी को नही छोडूंगा ।
तुम्हारा सारा खेल खत्म हो चुका है दुर्जन ।अब तुम कुछ नही कर सकते ।तुम्हारे पापो को सजा तो यमराज तुम्हे नर्क में देंगे हो लेकिन अब भी नही सुधरे तो तुम्हे यही नर्क भोगवा दूंगा। बाबा ने गुस्से में चिल्लाकर कहा ।
इतना कहकर बाबा ने अपने चेलों से उसके चारो तरफ गोल गोल रेखा खींचने को कहा ।रेखा खींचते ही बाबा ने मंत्र पढ़ कर उधर फेंका उसके चारो तरफ आग की ज्वाला भड़क उठी ।वो जोर जोर से चिल्लाने लगा छोड़ छोड़ दो पूरा बदन जल रहा है ।उसकी भयानक चीख पूरी कोठी में गूंज रही थी।
वहा बैठे बाकी लोग भयभीत होने लगे।बाबा ने एक मंत्र फाड़कर हवा में फेंका तभी एक औरत हवा की तेज गति से वहा प्रकट हुई ।वहा का नजारा देखकर जोर जोर से अट्टहास करने लगी ।पूरा माहौल डरावना लगने लगा था।
वो बोली इस पापी को और सजा दो ये इसी के काबिल है ।उसने नफरत भरी नजरो से दुर्जन को आग में जलते और तड़पते हुए देखा ।
मां मां करता हुआ भानु उसकी तरफ लपका लेकिन बाबा ने उसे रोक लिया।
फिर वो औरत जो दुर्जन की मृत पत्नी थी आकर उन तीनो आत्माओं के पास बैठ गई और चंद्र प्रभा के सिर पर हाथ फेरने लगी ।वो उसके गले से लिपट कर रोने लगी ।

शेष अगले भाग _ 7 में 

लेखक _श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखंड मो.9955509286

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2 Comments

Punam verma

06-Nov-2023 08:33 AM

Nice👍👍

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Sarita Shrivastava "Shri"

03-Nov-2023 05:42 PM

वाह! बेहतरीन सुन्दर विचार प्रस्तुति👌👌🌹🌹

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